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द गर्ल इन रूम 105

क्या?"


नहीं, ये पॉसिबल नहीं है, सौरभ ने कहा।

"क्या पॉसिबल नहीं है?"

"लिम्प सक्सेना लगड़ाकर चलता है.' सौरभ ने कहा ।

"क्या?' "तुमने देखा वो घर में भी कितना धीरे चल रहा था। यह चलने में थोड़ा लंगड़ाता है।"

'उसे हाल के दिनों में कोई चोट लगी है क्या?"

"पता नहीं। अपना लैपटॉप खोलो, ' सौरभ ने कहा

हमने प्रोफ़ेसर सक्सेना के यूट्यूब वीडियोज देखे । उनमें से अधिकतर तो इंजीनियरिंग कॉन्फ्रेंसों की महाबोरिंग टॉक्स थीं, जिनका इस्तेमाल नींद ना आने पर किया जा सकता था। लेकिन कुछ महीनों पुराने एक बीडियो में हम उसे चलकर स्टेज पर जाते देख सकते थे।

*तो यह केवल उस दिन की बात नहीं थी। वह सच में ही लंगड़ाकर चलता है' मैंने कहा।

सौरभ चुपचाप उसके कुछ और वीडियो देखता रहा।

"वो आम के उस पेड़ पर नहीं चढ़ सकता है, मैंने कुछ मिनटों के बाद कहा।

नामुमकिन है।'

तब तो

"हा। वह मेरे लिए ही इतना मुश्किल था। और अगर तुम्हारी एक टांग ठीक से काम नहीं कर रही हो "सक्सेना ने ये नहीं किया है, मैंने कहा और लैपटॉप बंद कर दिया। मुझे राणा को बता देना चाहिए।' मैं राणा को कॉल करने के लिए थोड़ा दूर गया। सौरभ कॉल ख़त्म होने तक मेरा इंतज़ार करता रहा और

फ़ोन रखने के बाद डायनिंग टेबल पर चला आया। "क्या कहा उसने?" "यह कि हम लोग चूतिए हैं। अगर उसने डीन को अरेस्ट कर लिया होता, तब तो उसका बैंड ही बज चुका

होता"

"सही बात है। इसके अलावा कुछ

"बस इतना ही। और साथ में कुछ प्यारी-प्यारी दिल्ली वाली गालियां, मैंने कहा।

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